अखिलेश शर्मा
19 अगस्त को पूरे विश्व में फोटोग्राफी दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में झांकें तो पता चलता है कि फोटोग्राफी का सफर एक साधारण दृश्य और चेहरों के यांत्रिक अंकन से शुरू हुआ था, जो आज एक ऐसी कला का रूप ले चुका है जिसमें भावनाओं का एक विशाल संसार कैमरे के एक क्लिक में समेटा जा सकता है।
दुनिया की पहली तस्वीर 1826 में खींची गई थी, जिसे फ्रांस के आविष्कारक जोसेफ नाइसफोर और उनके मित्र लुइस डॉगेर ने तैयार किया था। इस ऐतिहासिक तस्वीर को कैप्चर करने में 8 घंटे का समय लगा और इसे तैयार करने में पूरे 6 साल। इस तस्वीर को “व्यू फ्रॉम द विंडो एट ले ग्रास” नाम दिया गया। जोसेफ ने यह तस्वीर अपने घर की पहली मंजिल की खिड़की से बाहर के दृश्य को देखकर अचानक ही कैप्चर की थी, जिसे बाद में इतिहास का हिस्सा बना दिया गया।
इस तस्वीर को आधिकारिक मान्यता 19 अगस्त 1839 को फ्रांस की सरकार ने दी और इसे बिना किसी कॉपीराइट के दुनिया को उपहार स्वरूप समर्पित किया। इसी ऐतिहासिक घटना की स्मृति में हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है, जो फोटोग्राफी के क्षेत्र में हुई इस क्रांति को याद करने और इसे सम्मानित करने का दिन है।
फोटोग्राफी आज केवल एक कला नहीं, बल्कि एक अभिव्यक्ति का माध्यम भी है। कैमरे के माध्यम से जो संवेदनाएं और दृष्टिकोण व्यक्त किए जा सकते हैं, वे किसी महाकाव्य या उपन्यास में विस्तार से भी कहना कठिन है। इस दिन हमें यह याद रखना चाहिए कि हर क्लिक के पीछे एक इतिहास और हर तस्वीर के पीछे एक कहानी होती है।