मंदसौर: सरकारी लापरवाही से ग्रामीणों का जुगाड़ पर निर्भर जीवन, जिम्मेदारों की अनदेखी

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मंदसौर। जिले में भारी बारिश के बाद नदी और नाले उफान पर हैं, जिसके चलते कई इलाकों में जनजीवन प्रभावित हो गया है। इन हालातों के बीच कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो सरकारी सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोग पुलिया और सड़क सुविधाओं की कमी के चलते अपनी जान जोखिम में डालकर असुरक्षित तरीकों से नदी और नालों को पार करने को मजबूर हैं।

मजेसरा गांव: अंतिम संस्कार के लिए नदी पार करना मजबूरी

मंदसौर जिले के दलौदा तहसील के मजेसरा नई आबादी गांव के ग्रामीणों की स्थिति बेहद दयनीय है। यहां दिवंगत के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को सोमली नदी पार करनी पड़ती है। गांव से मुक्तिधाम महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन पुलिया या रपट न होने की वजह से ग्रामीणों को सीधे नदी में उतरकर पार करना पड़ता है। मानसून के दौरान यह परेशानी और बढ़ जाती है, क्योंकि नदी में पानी का बहाव तेज हो जाता है। कई बार ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। गांव के लोग लंबे समय से पुलिया की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी ही रह गई है।

सागोरिया गांव: सरकार की अनदेखी पर ग्रामीणों का जुगाड़ का पुल

शामगढ़ तहसील के सागोरिया गांव में स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां एक नाले पर पुल न होने की वजह से ग्रामीणों ने खुद के खर्च से लकड़ी का जुगाड़ का पुल तैयार कर लिया है। यह अस्थायी पुल बेहद असुरक्षित है और कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। नाले के उफान पर होने के बावजूद लोग इसी जुगाड़ के पुल से सगोरिया और चांदखेड़ी गांवों के बीच सफर कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कई बार उन्होंने पुल निर्माण की मांग की, लेकिन जिम्मेदार नेताओं और अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

सांसद और विधायक भी इस मार्ग से गुजर चुके हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस असुरक्षित पुल के विकल्प में ग्रामीणों को सड़क मार्ग से 15-20 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है, जो कि बेहद समय और संसाधन लेने वाला है।

प्रश्न खड़े करती तस्वीरें

यह हालात मंदसौर जिले में सरकारी लापरवाही और अव्यवस्था की पोल खोलते हैं। जहां एक ओर लोग अपने मृत परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अपने रोजमर्रा के सफर के लिए जान जोखिम में डालकर असुरक्षित जुगाड़ का सहारा ले रहे हैं। इन परिस्थितियों में यह सवाल उठता है कि क्या जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इन समस्याओं को गंभीरता से ले रहे हैं? ग्रामीणों की सुरक्षा और उनकी बुनियादी जरूरतों को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा?

सरकार की अनदेखी और जिम्मेदारों की लापरवाही से मंदसौर के ग्रामीण अपने जीवन को खतरे में डालकर जुगाड़ के सहारे जीवन जीने को मजबूर हैं।

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