“कर्ज में डूबता किसान और सरकार की सोने की चिड़िया: नागेश्वर पाटीदार की पीड़ा”

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परमेश्वर सोलंकी

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के राकोदा गांव के किसान नागेश्वर पाटीदार की कहानी उस कड़वी सच्चाई The story of farmer Nageshwar Patidar is that bitter truth को उजागर करती है, जिससे देश के हजारों किसान जूझ रहे हैं। 10 बीघा में सोयाबीन की फसल उगाने वाले नागेश्वर को अपनी मेहनत का सही दाम तो नहीं मिला You don’t get the right price for your hard work, लेकिन बढ़ते लागत के कारण उन्हें कर्ज की गर्त में धकेल दिया। निराशा में, उन्होंने अपनी 5 बीघा फसल को खुद ही रोटावेटर से नष्ट कर दिया। He himself destroyed 5 bigha crop with the rotavator.

जब सोयाबीन का भाव मात्र ₹3800 प्रति कुंटल मिला, तो नागेश्वर को एहसास हुआ कि इस भाव से तो लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। महंगे खाद, बीज, और दवाइयों ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है।

नागेश्वर की यह व्यथा सिर्फ उनकी नहीं है, बल्कि हजारों किसानों की हकीकत है, जो कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं और मेहनत बेकार जा रही है।अब वक्त आ गया है कि सरकार अपनी ‘सोने की चिड़िया’ यानी किसानों की तरफ ध्यान दे, ताकि उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके और वे आत्मनिर्भर बन सकें।

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