मध्यप्रदेश में नई शराब नीति पर मंथन: अहाते खोलने और नर्मदा किनारे दुकानें खोलने पर विचार

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भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार के राजस्व के बड़े स्रोतों में शामिल आबकारी विभाग नई शराब नीति को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। इस नीति के तहत कई अहम बदलाव प्रस्तावित हैं। अधिकारियों ने नई नीति को तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश समेत तीन राज्यों की शराब नीति का अध्ययन किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंजूरी के बाद इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा और 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा।

अहाते फिर से खुल सकते हैं

सूत्रों के अनुसार, नई शराब नीति में बंद किए गए अहातों को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव शामिल है। यह निर्णय मुख्यमंत्री की हरी झंडी पर निर्भर करेगा। गौरतलब है कि फरवरी 2023 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने 2600 अहाते बंद कर दिए थे। इसके बाद से शराब पीने वाले लोग सुनसान स्थानों पर एकत्र होने लगे, जिससे आपराधिक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई।

नीति के मसौदे में कहा गया है कि अहाते बंद होने से शराब दुकानों के आसपास सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है, जिससे परेशानी हो रही है। साथ ही, इससे सरकार को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।

नर्मदा किनारे शराब दुकान खोलने पर पुनर्विचार

नई शराब नीति में नर्मदा नदी के किनारे 5 किलोमीटर की परिधि में शराब दुकान खोलने की बंदिश को फिर से विचाराधीन रखा गया है।

दुकानों की नीलामी और आवंटन में बदलाव

नीति में शराब दुकानों की नीलामी दरों को 10 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। साथ ही, 75 प्रतिशत दुकानों का रिन्युअल ठेकेदारों की सहमति से किया जाएगा, जबकि शेष दुकानों के लिए नए सिरे से ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

धार्मिक स्थलों से दूरी बरकरार

शराब दुकानों की धार्मिक और शैक्षणिक स्थलों से दूरी को 100 मीटर बनाए रखने का निर्णय लिया गया है।

यूपी मॉडल से प्रेरणा

नई नीति को तैयार करने में उत्तर प्रदेश के शराब मॉडल का अध्ययन किया गया है। यूपी में शराब दुकानों का आवंटन लॉटरी सिस्टम से नहीं होता और वहां की दुकानों की संख्या मध्यप्रदेश से नौ गुना ज्यादा है। मध्यप्रदेश में फिलहाल 3605 दुकानें हैं।

मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार

दिसंबर में मुख्यमंत्री के सामने प्रस्ताव रखा जाएगा। यदि मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलती है, तो इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा।

संभावित प्रभाव

  • राजस्व वृद्धि: अहातों के पुनः संचालन और नई दुकानों की नीलामी से सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी।
  • सड़क पर भीड़ कम होगी: सुनसान स्थानों पर शराब पीने की प्रवृत्ति कम होगी।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक असर: नर्मदा किनारे दुकान खोलने का निर्णय सामाजिक संगठनों के विरोध का कारण बन सकता है।

नई शराब नीति को लेकर यह देखना होगा कि कैबिनेट में इस प्रस्ताव को किस तरह से मंजूरी मिलती है।

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