मंदसौर। जिला चिकित्सालय में पदस्थ लेखापाल अजय चौरसिया को 3500 रुपये रिश्वत लेने के अपराध में विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण) द्वारा दोषी करार देते हुए 4 वर्ष के सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। यह निर्णय माननीय विशेष न्यायाधीश महोदय ने भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय, मंदसौर में सुनाया।
प्रकरण के अनुसार, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शामगढ़ में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ. शोभा मोरे ने अपने 6 माह के मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन के भुगतान हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था। इस पर कार्यवाही करते हुए जिला चिकित्सालय मंदसौर के लेखापाल अजय चौरसिया ने वेतन आहरण के लिए उनसे 3500 रुपये रिश्वत की मांग की। रिश्वत नहीं देना चाहती डॉ. मोरे ने इस संबंध में लोकायुक्त पुलिस, उज्जैन को शिकायत दर्ज करवाई।
लोकायुक्त पुलिस ने उप पुलिस अधीक्षक वेदांत शर्मा के नेतृत्व में ट्रैपदल का गठन किया और 9 जुलाई 2019 को लेखापाल अजय चौरसिया को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया। इसके बाद आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) के तहत मामला दर्ज किया गया।
अंततः, विशेष न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष के तर्कों से सहमत होते हुए अजय चौरसिया को दोषी करार दिया और धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 4 वर्ष का सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इस प्रकरण का सफल संचालन जिला लोक अभियोजन अधिकारी निर्मला सिंह चौधरी द्वारा किया गया।