भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्षों की सूची को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भोपाल, इंदौर, सागर, ग्वालियर, रीवा सहित कई जिलों में बड़े नेताओं के बीच सहमति न बन पाने के कारण सूची जारी होने में लगातार देरी हो रही है। पार्टी के कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराजगी है कि स्थानीय स्तर पर संगठन मजबूत करने की बजाय नेताओं की आपसी खींचतान प्राथमिकता बन गई है।
केंद्रीय नेतृत्व करेगा हस्तक्षेप
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को इस मुद्दे पर दिल्ली पहुंच गय है। वहां राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह, और संगठन चुनाव की पर्यवेक्षक सरोज पांडेय के साथ चर्चा कर जिलाध्यक्षों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा। माना जा रहा है कि विवादित जिलों पर आज देर रात तक फैसला लिया जा सकता है।
सागर में खींचतान और नई रणनीति
सागर जिले में जिलाध्यक्ष पद को लेकर स्थिति और भी जटिल है। विधायक भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, गोपाल भार्गव, और शैलेंद्र जैन अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए सक्रिय हैं। इस खींचतान को देखते हुए सागर जिले को दो भागों में विभाजित करने की योजना बनाई जा रही है। रहली, देवरी, और बंडा को मिलाकर एक जिला, जबकि सागर, सुरखी, खुरई, बीना, और नरयावली को दूसरे जिले के रूप में स्थापित किया जाएगा।
अन्य जिलों में भी विवाद
इंदौर, ग्वालियर, रीवा, धार, निवाड़ी और सिंगरौली में भी स्थिति समान है। यहां भी बड़े नेताओं के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। ग्वालियर में सिंधिया और तोमर खेमे के बीच तनाव, जबकि इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय की पसंद-नापसंद हावी है।
संघ के नामों की अनदेखी
सूत्रों के अनुसार, संघ द्वारा सुझाए गए नामों को दरकिनार कर नेताओं ने अपने समर्थकों को प्राथमिकता दी है। यह स्थिति जमीनी स्तर पर पार्टी कैडर में असंतोष को जन्म दे रही है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, और जबलपुर जैसे शहरी जिलों में स्थिति और भी गंभीर है।
अंतिम फैसला जल्द
प्रदेश भाजपा नेतृत्व द्वारा जारी खींचतान को खत्म करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह सक्रिय हो गया है। माना जा रहा है कि आज देर रात तक जिलाध्यक्षों की सूची जारी की जा सकती है, जिससे पार्टी के अंदर मचे विवाद को शांत करने का प्रयास होगा।