मंदसौर। जिला चिकित्सालय में एक इंदौरी ठेकेदार का नाम फिर से चर्चाओं में है। यह ठेकेदार लंबे समय से सिक्योरिटी गार्ड और सफाई का ठेका लेता रहा है, लेकिन उसकी कार्यशैली कभी भी संतोषजनक नहीं रही। यही कारण है कि वह हमेशा मीडिया की सुर्खियों में बना रहता है। खास बात यह है कि हर बार ठेका प्राप्त करने के लिए वह नई-नई कंपनियों के नाम का सहारा लेता है, जिससे अधिकारियों की नज़र में उसकी असलियत छिपी रह सके।
सूत्रों के मुताबिक, ठेकेदार अपने राजनीतिक संपर्कों और मीडिया में रिश्तेदारों की धमक का लाभ उठाकर जिला चिकित्सालय के अधिकारियों और बाबुओं पर दबाव बनाता है। इसके जरिए वह अपने मनमाने ढंग से काम करने में कामयाब रहा है। परंतु इस बार स्थिति कुछ अलग है। जिला चिकित्सालय ने ठेका आवंटन के लिए ऑनलाइन निविदा प्रक्रिया अपनाई है, जिसके कारण इस चतुर ठेकेदार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
निविदा प्रक्रिया शुरू होते ही यह इंदौरी ठेकेदार ठेका पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। उसकी हालत अब ‘जल बिन मछली’ जैसी हो गई है। अधिकारियों और बाबुओं के पास लगातार चक्कर काटने के बावजूद उसे कोई तवज्जो नहीं मिल रही है। इस वजह से वह बेहद विचलित है और अब तो कलेक्टर के आदेशों की भी अनदेखी करने लगा है।
अब देखना यह होगा कि इस बार यह ठेकेदार किस नई कंपनी के नाम से ठेका हासिल करता है या नहीं। जिला प्रशासन और चिकित्सालय प्रबंधन को भी इस मामले पर कड़ी निगरानी रखने की आवश्यकता है ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए ही ठेका आवंटित हो सके।