धार। जिला चिकित्सालय धार में सांची पार्लर के अलाटमेंट को लेकर एक बार फिर विवादों की आंच तेज हो गई है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. शिंदे को जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बाद सीएमएचओ ने जांच की जिम्मेदारी सिविल सर्जन डॉ. बर्मन को सौंपी, जिन्होंने तीन सदस्यीय जांच दल का गठन कर जांच प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी किए हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच दल किन बिंदुओं को आधार बनाकर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या जांच दल संचालक अस्पताल प्रशासन, संचालनालय स्वास्थ्य सेवा मध्य प्रदेश, भोपाल के पत्र क्रमांक 256 दिनांक 9 फरवरी 2021 को जांच का आधार बनाएगा या फिर इसे नजरअंदाज कर अन्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा।
इस बीच, सिविल सर्जन कार्यालय से दिनांक 27 सितंबर 2024 को जारी पत्र क्रमांक “क्यू” भी विवाद के घेरे में है। इस पत्र के तहत धार निवासी श्री मिलन वर्मा (पाल) के आवेदन पर जिला चिकित्सालय धार में भर्ती मरीजों को सांची पाईंट के उत्पाद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सहकारी दुग्ध संघ मर्यादित, इंदौर द्वारा चिल्ड्रन वार्ड के कार्नर पर 8×8 साइज की जगह उपलब्ध कराने की सहमति दी गई थी। इस आधार पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया।
मगर सवाल यह उठ रहा है कि इस अनापत्ति प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी ने क्या भोपाल से जारी उच्च स्तरीय पत्र का अवलोकन किया था? या फिर यह प्रमाण पत्र किसी व्यक्ति विशेष के प्रभाव में जारी किया गया? यह दो प्रमुख बिंदु अब जांच की धुरी बन चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह जांच जिला अस्पताल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को लेकर एक अहम कसौटी साबित हो सकती है। अब सबकी निगाहें जांच दल की रिपोर्ट और उसकी निष्पक्षता पर टिकी हैं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह अलाटमेंट नियमों के तहत हुआ था या फिर इसमें कहीं न कहीं नियमों की अनदेखी की गई।